अरविंद केजरीवाल का आरोप है कि चुनाव नतीजों से पहले AAP के 16 उम्मीदवारों को 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर देकर उन्हें दल बदलने के लिए राजी करने की कोशिश की गई।

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर विधायकों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद यह मामला गरमाता जा रहा है। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की मंजूरी के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इसकी जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को ACB की टीम केजरीवाल के घर पहुंची, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। उनका कहना है कि यह जांच भाजपा के दबाव में की जा रही है।
इसके बाद ACB ने केजरीवाल को एक पत्र भेजकर इस मामले में सहयोग करने और कुछ सवालों के जवाब देने को कहा।
ACB के 5 बड़े सवाल
- क्या केजरीवाल ने खुद इस बारे में कोई बयान दिया या सोशल मीडिया पर कुछ लिखा?
- वे 16 लोग कौन हैं, जिन्हें 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर दिया गया?
- उन्हें रिश्वत देने के लिए किन फोन नंबरों से संपर्क किया गया?
- क्या इस आरोप को साबित करने के लिए कोई सबूत है?
- इस तरह की बातें लोगों में डर और अफरा-तफरी फैला सकती हैं, तो क्या इस पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए?
पूरा मामला क्या है?
AAP नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री मुकेश अहलावत ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद देने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया था और इस बारे में बात की गई थी।
इसके बाद केजरीवाल ने दावा किया कि AAP के 16 उम्मीदवारों को इसी तरह तोड़ने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा को चुनाव में जीत का भरोसा है, तो फिर उन्हें विधायकों को खरीदने की जरूरत क्यों पड़ रही है? उन्होंने एग्ज़िट पोल्स को झूठा बताते हुए कहा कि ये सर्वे केवल उम्मीदवारों पर दबाव बनाने के लिए किए जा रहे हैं।
भाजपा की सफाई
भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि AAP हार के डर से झूठ फैला रही है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पार्टी इस मामले में कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है।
उपराज्यपाल ने दिए जांच के आदेश
उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ACB को निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए हैं।
आगे क्या होगा?
दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग हुई थी और 10 फरवरी को नतीजे आएंगे। चुनाव का माहौल पहले से ही गरम है। अब देखना होगा कि ACB की जांच में क्या सामने आता है और यह मामला चुनाव प्रचार का हिस्सा बनकर रह जाता है या इसमें कोई ठोस सबूत मिलते हैं।







