70 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी ने बहुमत पाया, मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए लाई गई योजनाएं इसकी बड़ी वजह रहीं।

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के शुरुआती नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बढ़त मिलती दिख रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 65 सीटों में से 38 पर बीजेपी आगे चल रही है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) 27 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस अभी तक किसी भी सीट पर आगे नहीं है।
अगर यह रुझान कायम रहते हैं, तो बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बना सकती है। वहीं, AAP के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि 2013 में जब उसने पहली बार चुनाव जीता था, तब उसने दिल्ली की राजनीति का रुख ही बदल दिया था।
बीजेपी को बढ़त क्यों मिल रही है?
इस बार बीजेपी ने चुनाव में AAP की कई योजनाओं को जारी रखने का वादा किया, साथ ही कुछ नई घोषणाएं भी कीं, जिनमें शामिल हैं:
✔ महिलाओं को हर महीने ₹2,500 देना
✔ दिल्ली में मुफ्त इलाज के लिए ₹10 लाख तक का बीमा
✔ आम लोगों के लिए टैक्स में छूट, जिससे ₹12 लाख तक कमाने वालों को फायदा होगा
इन वादों ने गरीब और मध्यम वर्ग के वोटरों को बीजेपी की ओर खींचने में मदद की।
AAP को नुकसान क्यों हुआ?
AAP को 2022 में नगर निगम चुनाव जीतने के बाद कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सरकार और उपराज्यपाल (LG) के बीच खींचतान के कारण दिल्ली में कई काम अटक गए।
इस वजह से सफाई व्यवस्था बिगड़ गई, सड़कों की मरम्मत नहीं हुई, जलभराव और सीवर की दिक्कतें बढ़ गईं। लोगों को लगने लगा कि सरकार उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रही है।
कहां-कहां है करीबी मुकाबला?
- बीजेपी के नेता आगे:
- कपिल मिश्रा (कवरेल नगर) – 6,000 वोटों से आगे
- मोहन सिंह बिष्ट – 5,700 वोटों से आगे
- तिलकराम गुप्ता (त्रिनगर) – 5,200 वोटों से आगे
- AAP के नेता आगे:
- गोपाल राय (बाबरपुर) – 5,600 वोटों से आगे
- राम सिंह नेताजी (बदरपुर) – 5,000 वोटों से आगे
- इमरान हुसैन (बल्लीमारान) – 476 वोटों से आगे
कई सीटों पर कांटे की टक्कर है। रोहिणी में AAP के प्रदीप मित्तल सिर्फ 48 वोटों से आगे हैं, जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बीजेपी के प्रवेश साहिब सिंह के बीच जोरदार मुकाबला चल रहा है।
अब आगे क्या?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर बीजेपी सरकार बनाती है, तो दिल्ली में बड़े बदलाव हो सकते हैं। AAP, जिसने पिछले दो चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी, इस बार जनता की नाराजगी की वजह से पिछड़ती दिख रही है।
अब सभी की नजरें अंतिम नतीजों पर हैं, जो तय करेंगे कि दिल्ली की सत्ता किसके हाथ में जाएगी।







