द गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रक्षा मंत्रालय ने गोपनीय दस्तावेजों और निजी बातचीत के आधार पर भारत-पाक सीमा के संवेदनशील इलाके में व्यापारिक गतिविधियों की अनुमति देने के लिए सुरक्षा नियमों में बदलाव किया।

नई दिल्ली: गुजरात के खावड़ा इलाके में अदानी समूह को सोलर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने की इजाजत देने के लिए सीमा सुरक्षा नियमों में बदलाव करने की खबरें सामने आई हैं। इस पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या प्रधानमंत्री अपने खास दोस्त के फायदे के लिए देश की सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं?
कांग्रेस का हमला: ‘देशहित से समझौता’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार भारत-पाक सीमा के इतने करीब किसी निजी कंपनी को प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति क्यों दे रही है? इससे सेना की जिम्मेदारी बढ़ेगी और हमारी रणनीतिक स्थिति कमजोर होगी।
अखबार द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने पहले जो 10 किलोमीटर के दायरे में बड़े निर्माण पर रोक लगाई थी, उसे हटा दिया गया है। गुजरात सरकार ने केंद्र से इस रोक को हटाने की मांग की थी।
सेना की चिंता
रिपोर्ट के मुताबिक, सेना के अधिकारियों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि सीमा के पास सोलर पैनल लगाने से सुरक्षा को खतरा हो सकता है। लेकिन कंपनी ने बदलाव करने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह उनके लिए महंगा साबित होता। इसके बावजूद सरकार ने मई 2023 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी।
‘क्या एक आदमी का फायदा देश से बड़ा है?’
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर सवाल उठाया कि क्या अब सरकार सिर्फ अपने खास दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए फैसले ले रही है? उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से सेना की जिम्मेदारी और मुश्किल हो जाएगी।
कांग्रेस नेता के. सी. वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार देश की सुरक्षा की परवाह किए बिना अदानी समूह को फायदा पहुंचा रही है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार जानबूझकर हमारी ऊर्जा परियोजनाओं को खतरे में डाल रही है?
राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर यह खबर सही है, तो यह देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। वहीं, कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मणिकम टैगोर ने कहा कि देशहित पहले होना चाहिए, न कि किसी निजी कंपनी का मुनाफा।
सरकार को जवाब देना होगा
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से इस मुद्दे पर सफाई देने की मांग की है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या जवाब देती है और सुरक्षा के जानकार इस पर क्या राय रखते हैं।







