नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान गंगा के पानी में बढ़ते प्रदूषण और मल बैक्टीरिया की मात्रा को लेकर चिंता व्यक्त की है।

प्रयागराज में गंगा नदी की बिगड़ती जल गुणवत्ता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने गहरी चिंता व्यक्त की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ मेले के दौरान गंगा जल में मल बैक्टीरिया (फीकल कोलीफॉर्म) की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है।
CPCB की रिपोर्ट में क्या सामने आया?
3 फरवरी को प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक:
- 12-13 जनवरी को किए गए परीक्षणों में गंगा जल का बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर स्नान के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया।
- विभिन्न स्थानों पर जल में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा अत्यधिक पाई गई, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया कि महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं द्वारा स्नान करने से जल में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ गई। हालांकि प्रयागराज में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) सक्रिय हैं, लेकिन शाही स्नान और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों के दौरान प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है।
NGT ने कड़े निर्देश जारी किए
NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, कलकत्ता उच्च न्यायालय) की अध्यक्षता में मामले की समीक्षा की गई। उन्होंने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के अधिकारियों को वर्चुअल बैठक में शामिल होकर प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है।
NGT ने पहले भी UPPCB को विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था, लेकिन बोर्ड ने केवल जल परीक्षण रिपोर्ट जमा की, जिसमें गंगा जल में उच्च स्तर का फीकल प्रदूषण पाया गया। इस कारण, NGT ने 19 फरवरी तक एक विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
गंगा सफाई को लेकर उठाए जा रहे कदम
दिसंबर 2024 से प्रयागराज में जल उपचार और कचरा प्रबंधन पर निगरानी बढ़ा दी गई है। धार्मिक आयोजनों के दौरान जल की स्वच्छता बनाए रखने के लिए NGT ने प्रशासन को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
गंगा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए सरकार को तीर्थ स्थलों पर आधारभूत संरचना मजबूत करनी होगी और कचरा निस्तारण की प्रभावी योजना लागू करनी होगी। इससे जल प्रदूषण पर काबू पाया जा सकेगा और श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध हो सकेगा।





