अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: हर साल 8 मार्च को यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों को पहचानने और उनके योगदान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।

हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की मेहनत, सफलता और समाज में उनके योगदान को सलाम करने का मौका देता है। साथ ही, यह हमें याद दिलाता है कि महिलाओं को बराबरी का हक और सम्मान दिलाने के लिए अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
महिला दिवस 2025 की थीम
इस साल महिला दिवस की थीम है “एक्सेलेरेट एक्शन” (तेजी से बदलाव लाना)। इसका मतलब है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ बातें नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की जरूरत है। चाहे घर हो, ऑफिस हो या कोई और जगह, हर महिला को उसका हक मिलना चाहिए और उसके सपनों को पूरा करने का मौका मिलना चाहिए।
महिला दिवस का इतिहास
पहली बार महिला दिवस 1911 में मनाया गया था, लेकिन 1975 में इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली। इसकी शुरुआत तब हुई जब न्यूयॉर्क में कपड़ा मिल में काम करने वाली महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज उठाई थी। वे बेहतर सैलरी, कम काम के घंटे और वोट देने का अधिकार चाहती थीं। धीरे-धीरे यह आंदोलन दुनियाभर में फैल गया और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई का हिस्सा बन गया।
महिलाओं की उपलब्धियां और चुनौतियाँ
आज महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। कल्पना चावला, किरण बेदी, मैरी कॉम, इंदिरा गांधी, साइना नेहवाल जैसी महिलाओं ने साबित कर दिया कि अगर उन्हें सही मौके मिलें, तो वे किसी से कम नहीं हैं।
लेकिन आज भी बहुत सारी महिलाएँ पढ़ाई, नौकरी और अपनी पसंद का जीवन जीने से वंचित रह जाती हैं। कई जगहों पर उन्हें कम सैलरी मिलती है, काम में भेदभाव होता है और सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है।
अब आगे क्या?
इस साल की थीम “तेजी से बदलाव लाना” हमें यह सिखाती है कि महिलाओं की तरक्की सिर्फ भाषणों से नहीं होगी, बल्कि इसके लिए हर किसी को अपने स्तर पर कोशिश करनी होगी। चाहे घर में हो या बाहर, महिलाओं को बराबरी और इज्जत देने से ही सही मायनों में बदलाव आएगा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक दिन का जश्न नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए हक और सम्मान की याद दिलाने का दिन है। हम सबको मिलकर यह तय करना चाहिए कि हर महिला को उसकी मेहनत का पूरा फल मिले और वह खुलकर अपने सपने पूरे कर सके।
(नवभारत न्यूज़ 24×7 की विशेष रिपोर्ट)





