शोध में यह भी सामने आया कि लैंडिंग साइट से लगभग 14 किलोमीटर दक्षिण में एक नया गड्ढा (क्रेटर) मौजूद है, जहां बड़ी-बड़ी चट्टानें देखी गई हैं। इनमें से कुछ चट्टानें 17 मीटर से अधिक लंबी हैं, जो इस क्षेत्र की सबसे विशाल चट्टानों में शामिल हैं।

नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान-3 मिशन से एक बड़ी जानकारी सामने आई है। इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल “शिव शक्ति पॉइंट” की उम्र करीब 3.7 अरब साल है। यह वही समय था जब पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई थी।
कैसे हुई यह खोज?
अहमदाबाद में इसरो के वैज्ञानिकों ने शिव शक्ति पॉइंट और उसके आसपास की जमीन का बारीकी से अध्ययन किया। उन्होंने खास कैमरों से ली गई तस्वीरों को ध्यान से देखा और पाया कि इस इलाके में तीन तरह की सतहें हैं:
- ऊबड़-खाबड़ (खुरदरी) जमीन
- एकदम सपाट मैदान
- नीची और समतल जमीन
शिव शक्ति पॉइंट तीसरी तरह की समतल जमीन का हिस्सा है, जो वैज्ञानिकों के मुताबिक करीब 3.7 अरब साल पुरानी है।
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शिव शक्ति पॉइंट के आसपास क्या मिला?
यह जगह चंद्रमा के कुछ बड़े गड्ढों (क्रेटरों) के पास स्थित है, जिनमें मैनजिनस, बोगुस्लावस्की और शोमबर्गर नाम के गड्ढे शामिल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गड्ढों से निकले चट्टानों के टुकड़े शिव शक्ति पॉइंट के इलाके में जमा हुए हैं।
इसके अलावा, लैंडिंग साइट से करीब 14 किमी दूर एक और गड्ढा मिला, जिसमें बड़ी-बड़ी चट्टानों के टुकड़े मौजूद हैं।
भारत का ऐतिहासिक चंद्र मिशन
भारत का चंद्रयान-3 मिशन दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला दुनिया का पहला मिशन है। इसरो के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने वहां काम किया और कई अहम जानकारियां भेजीं। इस सफलता के साथ, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया।
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आगे क्या उम्मीद है?
इसरो के वैज्ञानिक अभी और रिसर्च कर रहे हैं। चंद्रयान-3 से मिली जानकारी से चांद के इतिहास और पृथ्वी से उसके संबंध को समझने में मदद मिलेगी। आने वाले दिनों में इससे और नई जानकारियां मिल सकती हैं, जो अंतरिक्ष की दुनिया में भारत को और आगे बढ़ाने में मदद करेंगी।







