
नई दिल्ली: पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन जे. हार्पर ने एनएक्सटी फोरम 2025 में अपने संबोधन में कहा कि भारत दुनिया में बदलते शक्ति संतुलन के केंद्र में है और एक प्रभावशाली वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर है।
नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत केवल आर्थिक और सामरिक दृष्टि से नहीं, बल्कि अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं और कूटनीतिक समझ के कारण भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।
“भारत को वैश्विक सुरक्षा नीति में अधिक सतर्क रहने की जरूरत नहीं”
हार्पर ने कहा कि भारत हमेशा वैश्विक संस्थानों में सुधार और अपनी बढ़ती ताकत के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय नियमों में बदलाव की मांग करता रहा है, लेकिन अब ये संस्थान धीरे-धीरे अपनी प्रासंगिकता खो रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों में अधिक बदलाव करने या किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसका आर्थिक और जनसांख्यिकीय प्रभाव इसे एक स्वाभाविक वैश्विक शक्ति बना रहा है।
“भारत की बढ़ती जनसंख्या और अर्थव्यवस्था उसकी सबसे बड़ी संपत्ति”
उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने जा रहा है और पहले ही शीर्ष पांच वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बना चुका है।
भारत की अर्थव्यवस्था अन्य प्रमुख देशों की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ रही है, जिससे वह दुनिया की शक्ति संरचना में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
“भारत के सामने कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन उसकी स्थिति मजबूत है”
हार्पर ने भारत के सामने मौजूद कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिनमें शामिल हैं:
- कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता
- अर्थव्यवस्था के अनुरूप सैन्य क्षमताओं का विकास
- चीन और कट्टरपंथी ताकतों से उत्पन्न भू-राजनीतिक दबाव
हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को दुनिया एक विश्वसनीय और स्थिर शक्ति के रूप में देखती है, जो उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
“लोकतंत्र भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक ताकत”
हार्पर ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था उसे पश्चिमी देशों—अमेरिका और यूरोपीय संघ के करीब लाती है।
उन्होंने भारत को चीन की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का एक मजबूत संतुलनकारक बताया और कहा कि भारत की स्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता इसे एक प्रभावशाली वैश्विक भागीदार बनाती है।
“भारत ग्लोबल साउथ का नेतृत्व कर सकता है”
हार्पर ने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ – खाड़ी देशों, अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों के साथ मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक संबंध बनाने में अग्रणी है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया बहु-ध्रुवीय शक्ति संरचना (Multipolar World Order) की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे भारत को अपनी वैश्विक प्रभावशीलता और कूटनीतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे।
“दुनिया एक नए शक्ति संघर्ष की ओर बढ़ रही है, भारत को संतुलन बनाए रखना होगा”
हार्पर ने चेतावनी दी कि दुनिया प्रथम विश्व युद्ध से पहले की स्थिति की तरह शक्ति संघर्ष की ओर बढ़ रही है, जो अत्याधुनिक सैन्य तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण और भी जटिल हो सकता है।
उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह सिर्फ शक्ति संतुलन की राजनीति का हिस्सा बनने के बजाय, लोकतंत्र को मजबूती देने और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में एक सक्रिय भूमिका निभाए।
“पश्चिमी नेतृत्व कमजोर हो रहा है, भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए”
हार्पर ने अमेरिका और यूरोप में नेतृत्व संकट की ओर इशारा करते हुए कहा कि पश्चिमी देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभाव खो रहे हैं, जिससे एक नए वैश्विक नेतृत्व की जरूरत महसूस हो रही है।
उन्होंने कहा कि भारत इस नेतृत्व संकट के बीच एक स्थिर शक्ति के रूप में उभर सकता है, क्योंकि इसमें राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक गति और कूटनीतिक दृष्टि का अनूठा संयोजन है।
“भारत का नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण सराहनीय”
हार्पर ने भारत की G20 अध्यक्षता की प्रशंसा की और कहा कि भारत ने इस मंच का उपयोग न केवल अपने बल्कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और अन्य विकासशील देशों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आधुनिकीकरण की गति और वैश्विक मंच पर उसकी सक्रियता उसकी बढ़ती शक्ति को दर्शाती है।
“भारत एशियाई सदी का नेतृत्व करने के लिए तैयार”
हार्पर ने कहा कि भारत का महत्व केवल उसकी आर्थिक और सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी लोकतांत्रिक परंपराएं और सांस्कृतिक विरासत भी उसे वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान देती हैं।
उन्होंने भारत को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में देखा, जो पश्चिम के प्रभाव में आए बिना एशियाई सदी (Asian Century) का नेतृत्व कर सकता है।
“संवाद और विचारों के आदान-प्रदान में भारत की अग्रणी भूमिका”
अंत में, हार्पर ने भारत की खुली विचारधारा और कूटनीतिक समझ की सराहना करते हुए कहा कि भारत वैश्विक चर्चा और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
उन्होंने कहा कि एनएक्सटी फोरम जैसे मंच भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूत करते हैं, जिससे वह भविष्य की विश्व व्यवस्था को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
हार्पर का यह भाषण भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका, उसकी रणनीतिक ताकत और लोकतांत्रिक मूल्यों को उजागर करता है।
उन्होंने भारत को ग्लोबल साउथ का स्वाभाविक नेता और विश्व शक्ति संतुलन में एक निर्णायक स्तंभ बताया।
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, विशाल जनसंख्या, रणनीतिक स्थिति और लोकतांत्रिक परंपराएं इसे वैश्विक राजनीति में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए तैयार कर रही हैं।
(नवभारत न्यूज़ 24×7 की विशेष रिपोर्ट)





