ISRO का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) डॉकिंग मिशन लाइव अपडेट्स: ट्रायल के बाद, स्पेसक्राफ्ट्स को सुरक्षित दूरी पर भेजा गया है और डेटा विश्लेषण के बाद डॉकिंग एक्सपेरिमेंट को फिर से शुरू किया जाएगा।

ISRO SpaDex Docking Mission Updates: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SpaDeX डॉकिंग मिशन के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण ट्रायल प्रयास किया है, जिसमें दोनों SpaDeX सैटेलाइट्स – चेज़र और टार्गेट – एक-दूसरे के 3 मीटर करीब पहुंचे। यह प्रयास डॉकिंग प्रक्रिया के लिए एक अहम कदम था। हालांकि, सैटेलाइट्स को इसके बाद सुरक्षित दूरी पर स्थानांतरित कर दिया गया, और ISRO ने बताया कि डॉकिंग की प्रक्रिया को केवल डेटा विश्लेषण और सभी आवश्यक परीक्षणों के बाद ही आगे बढ़ाया जाएगा।
डॉकिंग मिशन का उद्देश्य और महत्व: इस मिशन को 30 दिसंबर को लॉन्च किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में छोटे स्पेसक्राफ्ट्स का उपयोग करके डॉकिंग की तकनीक को प्रदर्शित करना है। यह मिशन ISRO की तकनीकी क्षमताओं को और अधिक उन्नत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बनेगा, जिसने इस जटिल और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण डॉकिंग प्रक्रिया में महारत हासिल की है। भविष्य में इस प्रकार की तकनीक का उपयोग चाँद से सैंपल लाने, 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक मानव को चाँद पर भेजने जैसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए किया जाएगा।
ISRO की सावधानी बरतने की वजह: अंतरिक्ष में दो गतिमान सैटेलाइट्स को डॉक करना एक बहुत ही जटिल और जोखिमपूर्ण कार्य है, जिसमें हर कदम पर उच्च स्तर की सटीकता की आवश्यकता होती है। इस कारण से ISRO पूरी तरह से सावधानी बरत रहा है और मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सभी तकनीकी परीक्षणों और डेटा विश्लेषण के बाद ही डॉकिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। चूंकि यह केवल एक तकनीकी प्रदर्शन मिशन है, इसलिए ISRO के लिए इसे सही तरीके से और बिना किसी गलती के अंजाम देना समयसीमा से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।
इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “जब हम 15 मीटर दूर होते हैं, तो हम एक-दूसरे को साफ़ देख सकते हैं। अब, हम डॉकिंग के लिए सिर्फ 50 फीट की दूरी पर हैं।”







