यह पहली बार है जब मुजीब-जिया परिवार के दबदबे से बाहर एक प्रमुख राजनीतिक दल गठित किया जा रहा है। साथ ही, यह पार्टी जमात की नेतृत्व में किसी भी भागीदारी का कड़ा विरोध करती है।

ढाका: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए ऐतिहासिक छात्र आंदोलन ने अब एक नया राजनीतिक रूप ले लिया है। इस आंदोलन से जुड़े नेताओं ने ‘नेशनल सिटिज़न्स पार्टी’ (NCP) नामक नए राजनीतिक दल की स्थापना की है, जिसकी औपचारिक घोषणा शुक्रवार को ढाका में संसद भवन के सामने की जाएगी।
इस नई पार्टी का नेतृत्व स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) और जातीया नागोरिक कमेटी (JANAC) द्वारा किया जा रहा है। पार्टी के संयोजक नसीरुद्दीन पटवारी ने बताया कि इसका मकसद लोकतंत्र को मजबूत करना और संस्थागत सुधारों के जरिए न्याय स्थापित करना है।
“हमने संघर्ष किया, अब लोकतंत्र की बहाली का समय”
पटवारी ने कहा, “हमने आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलियां झेलीं, लेकिन अब हम लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव लाना चाहते हैं। इस बार कोई हिंसा नहीं होगी, बल्कि बैलेट बॉक्स के जरिए नई राजनीति का निर्माण होगा।”
पार्टी का केंद्रीय विचार “ज़िम्मेदारी, न कि विलासिता” होगा, जो पिछले 15 वर्षों में पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने और सत्ता को जवाबदेह बनाने पर केंद्रित रहेगा।
क्या NCP चुनाव में उतरेगी?
फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि नेशनल सिटिज़न्स पार्टी आगामी आम चुनाव लड़ेगी या नहीं। हालांकि, पार्टी ने कहा है कि अगर वह चुनाव में हिस्सा नहीं भी लेती, तो सरकार की जवाबदेही तय करने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
छात्र आंदोलन से राजनीतिक बदलाव तक का सफर
इस राजनीतिक दल का विचार 8 सितंबर 2024 को पहली बार सामने आया, जब जुलाई 2024 में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने JANAC नामक नागरिक संगठन की स्थापना की। इसका मकसद संस्थागत सुधार और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना था।
पटवारी के अनुसार, यह आंदोलन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की भावना से प्रेरित है, जब न्याय और पारदर्शी शासन की मांग उठी थी।
बांग्लादेश की राजनीति में नया अध्याय
बांग्लादेश की राजनीति अब तक शेख हसीना की आवामी लीग और खालिदा जिया की बीएनपी के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन पहली बार, यह नया दल वंशवादी राजनीति से अलग हटकर एक स्वतंत्र जन आंदोलन के रूप में उभरा है।
बांग्लादेश के लेखक अहमेद हुसैन ने इसे देश के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ बताया है।
जमात-ए-इस्लामी को पार्टी से दूर रखा गया
नेशनल सिटिज़न्स पार्टी ने स्पष्ट किया है कि वह जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र इकाई शिबिर के किसी भी सदस्य को नेतृत्व में शामिल नहीं करेगी।
इससे पहले, अमर बांग्लादेश पार्टी (ABP) को जमात सदस्यों ने हाइजैक करने की कोशिश की थी, जिससे वह कमजोर हो गई। इसी गलती से सबक लेते हुए JANAC ने कट्टरपंथी गुटों को पार्टी से बाहर रखने का फैसला किया।
पटवारी ने कहा, “हम एक संतुलित (Centrist) विचारधारा पर काम करेंगे, जिसमें किसी भी कट्टरवादी गुट के लिए कोई जगह नहीं होगी।”
पार्टी का संगठन और प्रमुख नेता
गुरुवार को पार्टी के प्रमुख पदों के लिए मतदान हुआ, और शुक्रवार को इनके नामों की आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
- नाहिद इस्लाम को संयोजक बनाया गया है।
- अख्तर हुसैन सदस्य सचिव होंगे।
- सार्जिस आलम मुख्य आयोजक होंगे।
- हसनात अब्दुल्ला प्रवक्ता होंगे।
- नसीरुद्दीन पटवारी मुख्य समन्वयक बनाए गए हैं।
इसके अलावा, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट सलमान अल-मुकतादिर और यूके की डॉक्टर तसनीम ज़ारा भी पार्टी से जुड़ने वाले प्रमुख नामों में शामिल हैं।
युवाओं और महिलाओं को मिलेगी प्राथमिकता
पार्टी का मुख्य लक्ष्य युवाओं और महिलाओं को राजनीति में सशक्त बनाना है। इसके तहत कम से कम 30% महिलाओं को नेतृत्व में जगह देने का संकल्प लिया गया है।
इसके अलावा, पार्टी पर्यावरण और आर्थिक सुधारों पर भी जोर देगी, जिसमें तटीय क्षेत्रों के लोगों और कपड़ा उद्योग से जुड़े श्रमिकों की बेहतरी पर ध्यान दिया जाएगा।
विदेश नीति: न किसी गुट का समर्थन, न दबाव में झुकेंगे
नेशनल सिटिज़न्स पार्टी किसी भी बड़े अंतरराष्ट्रीय शक्ति गुट (चीन, रूस, पाकिस्तान या यूरोपीय देशों) के प्रभाव में नहीं आएगी।
पटवारी ने कहा कि पार्टी भारत के लोकतंत्र की सराहना करती है और भारत के Observer Research Foundation (ORF) जैसे थिंक टैंक को बांग्लादेश में स्थापित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय व्यापारी निष्पक्ष और सम्मानजनक व्यापार नीति अपनाते हैं, तो बांग्लादेश में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
बांग्लादेश में पहली बार, एक छात्र आंदोलन से उभरा राजनीतिक दल देश की राजनीति में नया विकल्प बनकर उभर रहा है। यह पार्टी वंशवादी राजनीति से हटकर लोकतंत्र, न्याय और संस्थागत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करेगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह पार्टी चुनाव लड़ेगी या सिर्फ सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए काम करेगी।
(नवभारत न्यूज़ 24×7 की विशेष रिपोर्ट)







