मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू: मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जारी हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

इंफाल: मणिपुर में जारी उथल-पुथल के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया और विधानसभा को भंग कर दिया। यह फैसला तब आया जब चार दिन पहले मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।
राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह कदम राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की रिपोर्ट के आधार पर उठाया। सरकार गिरने के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां हालात पर नजर बनाए हुए थीं, ताकि कोई गड़बड़ी न हो।
9 फरवरी को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्यपाल ने 10 फरवरी को होने वाला विधानसभा सत्र रद्द कर दिया, जिससे साफ हो गया कि सरकार अल्पमत में आ चुकी थी।
मणिपुर विधानसभा में कौन कितनी सीटों पर था?
मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं, लेकिन अभी 59 विधायक ही बचे हैं क्योंकि हाल ही में एक विधायक का निधन हो गया था।
| पार्टी का नाम | कितने विधायक |
|---|---|
| बीजेपी | 37 |
| नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) | 6 |
| नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) | 5 |
| कांग्रेस | 5 |
| कुकी पीपुल्स अलायंस (KPA) | 2 |
| जनता दल यूनाइटेड (JDU) | 1 |
| निर्दलीय | 3 |
हिंसा के चलते एनपीपी और केपीए ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। हालांकि, एनपीपी के कुछ विधायक अब भी बीरेन सिंह के साथ थे।
अब क्या होगा?
गृह मंत्रालय ने बताया कि संविधान के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, जिसका मतलब यह है कि अब राज्य का प्रशासन सीधे केंद्र सरकार देखेगी।
गृह सचिव गोविंद मोहन ने कहा, “स्थिति को देखते हुए यह साफ था कि राज्य सरकार ठीक से नहीं चल रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया।”
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ
- बीजेपी: पार्टी नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बना पाई, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।
- कांग्रेस: प्रदेश अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह ने कहा, “बीरेन सिंह सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी थी। अब जनता को न्याय मिलना चाहिए।”
- कुकी-जो संगठन: ITLF प्रवक्ता गिंजा वुआलजोंग ने कहा, “राष्ट्रपति शासन से उम्मीद जगी है कि हिंसा रुकेगी और हालात सुधरेंगे।”
आगे क्या होगा?
अब केंद्र सरकार के पास राज्य में शांति बहाल करने का मौका है। इससे:
✔ सुरक्षा बढ़ेगी
✔ अशांत इलाकों में कड़ी कार्रवाई होगी
✔ स्थायी समाधान निकालने के लिए बातचीत हो सकती है





