Prime Minister Interview में मोदी ने 2002 गुजरात दंगों पर फैलाए गए झूठे नैरेटिव को खारिज किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें फंसाने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने उन्हें निर्दोष पाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए गुजरात दंगों को लेकर झूठा नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें दोषी ठहराने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन न्यायालय ने उन्हें निर्दोष पाया।
गुजरात दंगों पर फैलाई गई ‘भ्रामक जानकारी’
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रसिद्ध पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक इंटरव्यू में 2002 के दंगों को लेकर फैलाए गए झूठ पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह दावा करना कि ये अब तक के सबसे बड़े दंगे थे, “भ्रामक जानकारी” है।
पीएम मोदी ने कहा, “24 फरवरी 2002 को मैंने पहली बार राज्य प्रतिनिधि के रूप में शपथ ली थी। इसके दो-तीन दिन बाद, 27 फरवरी को गोधरा की भयावह घटना हुई। यह एक असाधारण त्रासदी थी, जिसमें लोगों को जिंदा जला दिया गया था। आप कल्पना कर सकते हैं कि कंधार विमान अपहरण, संसद पर हमला और 9/11 जैसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह कितना संवेदनशील समय था।”
‘2002 से पहले गुजरात में 250 से अधिक बड़े दंगे हुए’
पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात में 2002 से पहले भी सैकड़ों दंगे हुए थे। उन्होंने 1969 के दंगों का उदाहरण देते हुए कहा, “1969 के दंगे छह महीने तक चले थे। 2002 के पहले गुजरात में 250 से अधिक बड़े दंगे हो चुके थे। तब अक्सर कर्फ्यू लगाना पड़ता था। छोटी-छोटी बातों, जैसे पतंगबाजी या साइकिल टकराने पर भी दंगे भड़क जाते थे। लेकिन 2002 की घटना को लेकर एक खास नैरेटिव बनाया गया।”
उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोधियों ने उस समय उन्हें फंसाने की कोशिश की, लेकिन न्यायपालिका ने पूरे मामले की गहन जांच के बाद उन्हें पूरी तरह निर्दोष पाया।
‘2002 के बाद गुजरात में नहीं हुआ कोई बड़ा दंगा’
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि 2002 के बाद से गुजरात में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “गुजरात, जो कभी दंगों से जूझता था, आज पिछले 22 वर्षों से पूरी तरह शांतिपूर्ण है।”
‘आलोचना लोकतंत्र की आत्मा, लेकिन झूठी कहानियां नहीं’
लेक्स फ्रिडमैन ने जब पीएम मोदी से आलोचनाओं को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कहा, “आलोचना लोकतंत्र की आत्मा होती है। हमारे शास्त्र भी कहते हैं कि आलोचकों को अपने पास रखना चाहिए, क्योंकि वे सुधार लाने में मदद करते हैं।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि “सच्ची आलोचना शोध और तथ्यों पर आधारित होती है, लेकिन आज के दौर में कई मीडिया और राजनीतिक लोग तथ्यों की जगह आरोप लगाते हैं। 2002 को लेकर जो बातें कही गईं, वे आलोचना नहीं, बल्कि आरोप थे।”
‘भेदभाव की राजनीति से आगे बढ़कर देश की तरक्की पर ध्यान’
पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि उन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति को पीछे छोड़कर ‘आकांक्षी राजनीति’ (Aspirational Politics) को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा, “पहले राजनीति का मतलब तुष्टिकरण था—कुछ समुदायों को खुश रखकर वोट पाना। हमने इसे बदल दिया। हमने विकास की राजनीति को प्राथमिकता दी, जहां हर किसी तक योजनाओं का लाभ पहुंचे, न कि सिर्फ कुछ विशेष वर्गों तक।”
उन्होंने अपनी सरकार के मूल मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” को दोहराते हुए कहा कि “हमने सुनिश्चित किया है कि अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सरकार की योजनाएं पहुंचें, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या समुदाय से हो। यही असली विकास है।”
(नवभारत न्यूज़ 24×7 की विशेष रिपोर्ट)





