राहुल गांधी ने 'मेक इन इंडिया' योजना की विफलता की आलोचना करते हुए कहा कि इसके कारण चीन को भारतीय सीमा में घुसपैठ करने का अवसर मिल गया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन पर बढ़ती निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती है और भारत की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना बेहद जरूरी है। इसके लिए उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को संसद में सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना पर निशाना साधते हुए कहा कि इसकी विफलता के कारण चीन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने में सफल हुआ है। उन्होंने बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठाया और भारत की चीन पर बढ़ती निर्भरता को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया।
गांधी ने सेना प्रमुख के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि चीनी सैनिक भारतीय सीमा के भीतर मौजूद हैं। उन्होंने इस स्थिति को देश की कमजोर होती उत्पादन क्षमता से जोड़ते हुए कहा कि भारत अब इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी और ऑप्टिक्स जैसे अहम उत्पादों के लिए चीन पर जरूरत से ज्यादा निर्भर होता जा रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारे सेना प्रमुख पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि चीन हमारी जमीन के अंदर मौजूद है। यह एक कड़वी सच्चाई है। इसका असली कारण समझना जरूरी है… चीन भारतीय क्षेत्र में इसलिए घुसा है क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ पूरी तरह असफल साबित हुआ है।”
चीनी प्रभाव को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने आगे कहा, “भारत तेजी से घरेलू उत्पादन से पीछे हट रहा है, और यही वजह है कि चीन हमारी जमीन पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। मुझे डर है कि भारत अपनी औद्योगिक क्रांति को दोबारा चीन के हवाले करने की राह पर है… अगर भविष्य में चीन के साथ युद्ध हुआ, तो हमें चीनी इलेक्ट्रिक मोटर, चीनी बैटरियों और चीनी ऑप्टिक्स के साथ ही लड़ना होगा और इन्हीं उत्पादों को खरीदना पड़ेगा।”
संसद में अपने बयान में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने दोनों देशों से मिलकर एक मजबूत औद्योगिक आधार तैयार करने की अपील की। गांधी ने कहा कि भारत की सस्ती उत्पादन क्षमता उसे वैश्विक विनिर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में लाती है, जो उसे अमेरिका के लिए एक अनिवार्य साझेदार बना देती है।
“अमेरिका हमारा रणनीतिक साझेदार है, और इस साझेदारी का उद्देश्य यह होना चाहिए कि भारत और अमेरिका मिलकर इस औद्योगिक क्रांति को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। भारत उतना ही महत्वपूर्ण है जितना अमेरिका, क्योंकि उनके पास हमारी तरह की उत्पादन क्षमता नहीं है। वे वही नहीं कर सकते जो भारत कर सकता है, क्योंकि उनके उत्पादन खर्च हमसे कहीं अधिक है। हम ऐसे उत्पाद बना सकते हैं, जिनकी अमेरिका भी कल्पना नहीं कर सकता,” गांधी ने कहा।
भारत के विनिर्माण क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए गांधी ने कहा कि देश ने सेवा क्षेत्र को तो अच्छी तरह से संगठित किया है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र को सशक्त बनाने में विफल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ भारतीय कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन का जिम्मा चीन को सौंप दिया गया है। “हमारी कई कंपनियां उत्पादन को बेहतर तरीके से संगठित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन असल में हमने अपने उत्पादन ढांचे को चीन के हवाले कर दिया है,” उन्होंने कहा।
मोबाइल फोन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भले ही इन्हें ‘मेड इन इंडिया’ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, असल में इनका असेंबल भारत में किया जाता है, जबकि अधिकांश पुर्जे चीन से आयात होते हैं। उन्होंने इसे भारत की चीन पर बढ़ती निर्भरता का प्रतीक बताते हुए कहा कि देश अनजाने में चीन को एक प्रकार का ‘कर’ अदा कर रहा है।








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