दिल्ली की अदालत ने शरजील इमाम पर दिसंबर 2019 में जामिया हिंसा के दौरान दंगे भड़काने के आरोप तय किए हैं।

दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को शरजील इमाम पर दिसंबर 2019 में जामिया हिंसा के संबंध में आरोप तय किए हैं। यह हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा कि इमाम इस साजिश के मास्टरमाइंड थे, जिन्होंने 15 दिसंबर 2019 को बड़े पैमाने पर दंगे, आगजनी और हिंसा को अंजाम दिया। अदालत ने उनके भाषण को “जहरीला और भड़काऊ” करार देते हुए कहा कि यह साम्प्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने वाला था।
कोर्ट का फैसला
- इमाम ने चक्का जाम की अपील की, जिससे सार्वजनिक जीवन ठप हो गया।
- भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया, जिसके कारण बसें, वाहन और पुलिस संपत्ति जला दी गई।
- इमाम के साथ तीन अन्य आरोपियों पर भी आरोप तय हुए: आशु खान, चंदन कुमार और आसिफ इकबाल तन्हा।
- मामले में 15 लोगों को बरी कर दिया गया, क्योंकि उनके खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं थे।
शरजील इमाम के खिलाफ आरोप:
इमाम के खिलाफ IPC की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
✔ धारा 109, 120B (अपराध में उकसाने और आपराधिक साजिश)
✔ धारा 153A (साम्प्रदायिक नफरत फैलाना)
✔ धारा 147, 148, 149 (दंगा और अवैध सभा)
✔ धारा 186, 353, 332, 333 (पुलिस अधिकारियों पर हमला)
✔ धारा 308, 435, 427 (हत्या का प्रयास और आगजनी)
हालांकि, धारा 124A (देशद्रोह) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते कोई कार्यवाही नहीं की गई।
अदालत ने इमाम के तर्क को खारिज किया
इमाम ने दावा किया कि वह शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, लेकिन अदालत ने कहा कि दिल्ली में बड़े पैमाने पर चक्का जाम कभी भी शांतिपूर्ण नहीं हो सकता।
अदालत ने कहा, “भीड़ को भड़काने वाले व्यक्ति यह नहीं कह सकते कि हिंसा उनकी मंशा नहीं थी।”
अब शरजील इमाम पर मुकदमा चलेगा और आगे की कार्यवाही जारी रहेगी।
(नवभारत न्यूज़ 24×7 की विशेष रिपोर्ट)